अगर आप एजेन्डा पढ़ने में यकीन नही रखते है, तब यह खबर आपके लिए हैं। भारत में वामपंथी कलम का अनर्गल प्रलाप स्वतंत्रता के बाद से ही शुरु हो गया था लेकिन 1975 के बाद से यह बजबजा गया। वामपंथ भारत में कांग्रेस कि बौद्धिक बैसाखी बन गया और उसके बाद जो साहित्य के नाम पर षड्यंत्र और कुचर्क का घिनौना खेल रचे जाने का क्रम शुरु हुआ, वह आज भी जारी है। यहाँ मैं एक बात कहना चाहुँगा कि भारत के मूल में सिर्फ दो ही बातें हैं धर्म और अधर्म, तीसरे के लिए कोई विकल्प नही हैं। जो धर्म नही हैं वह केवल अधर्म हैं। आज खुशी कि बात यह है कि आज कि पीढ़ी को अपने और पराये कि भेद का पहचान होने लगा हैं।भारत में भारतीयता का सूर्योदय चहुँओर हो रहा हैं। साहित्य और कला के नाम पर पसरे काले बादल भी अब हट रहे हैं। मठ कब उजड़ चुका हैं। क्लब वालें लेखकों का दौर अब जा चुका हैं। मेरी नजरों में लेखक वही है को पूर्वाग्रह से मुक्त हो! आपकी कलम राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षिक, सामाजिक, साहित्यिक, भाषागत, राष्ट्रीय चाहे अन्तर्राष्ट्रीय किसी भी परिदृश्य में चले वह निष्पक्ष होनी चाहिए। एजेन्डा लिखने वाले सबकुछ हो सकते हैं लेखक नही हो सकते हैं।
आशीष त्रिपाठी, आज की पीढ़ी के उन रचनाकारों में आते हैं जिन्होंने बिना किसी गाॅडफादर के अपने कलम पर भरोसा किया और अपनी स्वतंत्र पहचान बनायी हैं। बाला सेक्टर, आशीष त्रिपाठी का दूसरा उपन्यास हैं। इनका पहला उपन्यास पतरकी काफी चर्चा में रहा हैं। आशीष त्रिपाठी, किताब के समर्पण में लिखते हैं कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के साथ-साथ , ज्ञात-अज्ञात उन सभी भारतीय वीरों को समर्पित, जिनके लिए भारत की एकता व अखण्डता उनके प्राणों से बढ़कर है।’बाला सेक्टर’ उस कालिख की कहानी कहता है जो आज से तीन दसक पहले कश्मीर में मानवता के मुँह पर पोती गयी थी और लाखों कश्मीरी बेघर हुए थे। बाला सेक्टर की कहानी समाज में फैले सांप्रदायिकता के उस विष की पहचान करने की कोशिश करती है जो मानव और मानवता, दोनों को मारती है । बाला सेक्टर, पी.ओ.के. में तैनात एक भारतीय जासूस की कहानी है । जिसे न सिर्फ वहाँ अपनी पहचान छुपाते हुए अपने राष्ट्रीय कर्त्तव्यों का पालन करना है अपितु अपने व्यक्तिगत दायित्वों का निर्वहन भी करना है । ऐसे में अक्सर सैनिकधर्म के आगे उसे अपने पिता , पति व पुत्र धर्म से विमुख होना पड़ता है ।बाला सेक्टर कहानी है पड़ोसी के कब्जे वाले कश्मीर में वहाँ की हुकूमत और उसके आतंकी आकाओं की जुगलबंदी से उपजी त्रासदी की। इसके साथ बाला सेक्टर ऐसे गुरुओं की कहानी भी है जो एक राष्ट्रभक्त नागरिक नहीं आपितु अलगाववादी तैयार करते हैं ।बाला सेक्टर जरूर पढ़ें, अमेज़न पर यह उपलब्ध हैं। कहानी पसन्द आएगी आपको ऐसा मेरा विश्वास है।अंत में कठोपनिषद के एक श्लोकॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै। के साथ ‘बाला सेक्टर’ के लिए आशीष त्रिपाठी भैया को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।धर्म की जय हो! विश्व का कल्याण हो!
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जलज कुमार मिश्रा जी की वाल से साभार